अपने शरीर के दोषों व प्रकारों के अनुसार जानें की कौन-से आयुर्वेदिक आहार आपके लिए है सहायक ?
स्वास्थ्य शरीर के लिए स्वास्थ्य आहार का होना बहुत जरूरी है, वहीं ये स्वास्थ्य आहार कौन-से है, और इनका सेवन कैसे और किस तरह से करना चाहिए, इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे, तो चलिए जानते है की किस तरह के शरीर के लिए किस तरह के आयुर्वेदिक आहार होंगे सहायक ;
आयुर्वेद में शरीर के दोष कौन-से है ?
आयुर्वेद में शरीर के दोषों को तीन भागों में विभाजित किया गया है – जिनमे से पहला है वात यानि की वायु दोष है, दूसरा पित्त यानी अग्नि दोष है, तीसरा कफ यानी की पृथ्वी दोष है, तो चलिए जानते है की इन दोषों का हमारे शरीर के साथ कैसा संबंध है ;
वात दोष में किन बातों का रखें ध्यान ;
- तो बात करें वात दोष की तो इस दोष वाले लोग वायु के सामान होते है। यह ऊर्जा से परिपूर्ण होते है और हमेशा सक्रिय रहते है। शारीरिक रूप से दुबले-पतले और स्वभाव से उत्सुक यह लोग लगातार किसी उत्तेज़न और नए अनुभवों की तलाश में रहते है। इनका जिंदगी और काम के प्रति एक रचनात्मक नज़रिया होता है।
- वहीं वात वाले लोग ठण्ड और त्वचा विकारों से परेशान होते है। इन लोगों को नींद कम होने की वजह से ज्यादा आराम की जरूरत होती है।
- वात दोष में असंतुलन, वजन घटना, कमजोरी, बेचैनी और पाचन समस्याएँ हो सकती है।
- वहीं वात को नियंत्रण में रखने के लिए भारी और अच्छा भोजन खाएँ। ऐसे लोगों को नमकीन, खट्टा और मिठाई फायदा करती है। इन्हें कड़वा व तीखा भोजन नहीं खाना चाहिए। चावल इनके लिए सर्वोत्तम आहार है। फलों में आम, पपीता, खजूर, अनन्नास और सूखे मेवे आपके लिए ठीक रहेंगे।
- मसाले, जैसे कि काली मिर्च, जीरा, दालचीनी, इलायची, नमक, सौंफ, लौंग, तुलसी, सरसों, और अजवायन वात को संतुलित रखने में आपकी मदद करते है।
अगर आप वात दोष की समस्या का सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।
अग्नि दोष में किन बातों का रखें ध्यान ;
- अग्नि की तरह ही इस प्रकार के लोग ऊर्जस्वी और चुनौतियों को पसंद करने वाले है। इसी कारण यह महान नेता बन सकते है और अच्छी प्रबंधन क्षमता रखते है। इन लोगों का पाचन तंत्र अच्छा होता है और साथ ही, इन्हें बहुत भूख भी लगती है। ये लोग अपनी बात को ठीक से समझाने में सक्षम होते है और हर कार्य को बखूबी कर सकते है।
- पित्त दोष के असंतुलन से जलन, गर्म वातावरण में न रह पाना, चकत्ते और सीने में जलन जैसी दिक्कतें आती है।
- इस प्रवृत्ति के लोगों को नमकीन, तीखा, और खट्टा कम खाना चाहिए। मीठे फल, जैसे आम, पका हुआ अनन्नास, संतरे आदि इनके लिए लाभदायक है। खट्टे फलों से परहेज करेंl
- सब्जियों में हरी व पत्तेदार सब्जियाँ, गोभी, अजवाइन, ओकरा, खीरा, फलियाँ, आलू, सलाद आदि आपके लिए लाभदायक है। लहसुन, प्याज़, गाजर, चुकन्दर, मूली, गर्म मसाला और पालक आदि से परहेज करें।
कफ दोष में किन बातों का रखें ध्यान ;
- कफ दोष वाले व्यक्तियों की प्रवृत्ति पृथ्वी की तरह शांत, स्थिर और जमीन से जुडी हुई होती है। यह प्यार करने वाले, निष्ठावान और सुर्खियों में रहना पसंद न करने वाले होते है। ये मजबूत, गठीले और धीमी गति वाले होते है। इनको निश्चित दिनचर्या पसंद होती है और धीमे जीवन में खुशी मिलती है। इनका वजन आसानी से बढ़ जाता है।
- जब इनका कफ असंतुलित हो जाता है, तो वजन बढ़ना, तनाव, ट्यूमर और द्रव प्रतिधारण जैसी समस्या आने लगती है।
- ऐसे में, हल्का आहार भारीपन को कम करने में काम आता है। कड़वा और तीखा भोजन अच्छा रहता है, परन्तु साथ ही आपको मीठा और नमकीन खाना छोड़ने की सलाह दी जाती है।
- ये लोग सारी सब्जियाँ खा सकते है, पर मीठी और रसे वाले सब्जियाँ, जैसे शकरकंद और टमाटर खाना इनके लिए ठीक नहीं है। विषहरण करने वाले आहार और जूस कफ से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छे है, क्योंकि यह पाचन तंत्र को ठीक रखते है।
- फल, जैसे कि, नाशपाती, सेब, खुबानी आदि शरीर को संतुलित रखने में मदद करते है। आपको केले, संतरे और तरबूज जैसे फलों से परहेज करना चाहिए।
इन तीनों दोषों की समस्या अगर आपके परेशानी का कारण बनें तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक का रास्ता चुनना चाहिए।
सुझाव :
अगर आप अपने शरीर को स्वास्थ्य रखना चाहते है, तो इसके लिए आपको आयुर्वेदिक बातों को ध्यान में रख कर ऐसे ही आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए, वहीं इन तीनों दोषों को ठीक रखने के लिए आपको संजीवनी आयुर्वेदशाला क्लिनिक से भी सलाह लेनी चाहिए।