क्या है इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की आयुर्वेदिक दवा व उपचार के तरीके ?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) एक आम बीमारी है और यह बड़ी आंत को प्रभावित करती है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द एवं मरोड़ होना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया होने जैसे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण नज़र आते है। इसके अलावा इस समस्या से कैसे हम खुद का बचाव कर सकते है वो भी आयुर्वेदिक उपचार की मदद से इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;
क्या है इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) ?
- इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों का रोग है, इसमें पेट में दर्द, बेचैनी व मल करने में परेशानी होती है, इसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है।
- यदि लम्बे समय तक इस समस्या को अनदेखा किया गया, तो यह अधिक गम्भीर हो सकती है। कुछ मामलों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की आंत भी क्षतिग्रस्त हो सकती है। हालांकि यह बहुत सामान्य नहीं होता है। शुरूआत में खान-पान, जीवनशैली में बदलाव एवं तनाव कम करके इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या आयुर्वेद में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) का इलाज मौजूद है?
- इसका इलाज आयुर्वेद में शुरू से मिलता आ रहा है, क्युकि आयुर्वेद बीमारी का इलाज जड़ से करती है और ये समस्या आपके आंत या फिर पेट से जुडी होती है।
- इसका इलाज आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों की मदद से किया जाता है, जिससे व्यक्ति को काफी फ़ायदा भी पहुँचता है।
- इसके इलाज से बीमारी का जड़ से खात्मा किया जाता है।
यदि आप इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज करवाना चाहते है, तो इसके लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) के क्या लक्षण है ?
- कब्ज या दस्त की समस्या।
- वजन का कम होना।
- भूख में कमी का आना।
- बुखार की समस्या आदि।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण ज्यादा गंभीर होने पर आप बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करे।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) की आयुर्वेदिक दवा और उपचार क्या है ?
- इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम तनाव के कारण होता है, इसलिए इसका बेहतरीन इलाज है की व्यक्ति तनाव से जितना हो सकें दूर रहें। वहीं तनाव कम करने के लिए आप मालिश और अरोमाथेरेपी अपनाए। यदि आप ऐसा करते है तो आपको काफी फ़ायदा होगा और आपकी ये समस्या भी ख़त्म हो जाएगी।
- सम्पूर्ण स्वास्थ्य हासिल करने के लिए योग का सहारा लें।
- इसके अलावा आप इनके दोषों को कम करने के लिए कुछ हर्बल टॉनिक व आयुर्वेदिक दवाइयां भी लें सकते है।
अगर आप चाहें तो इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज संजीवनी आयुर्वेदशाला क्लिनिक से भी करवा सकते है।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) की आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां कौन-सी है ?
- आंत या पेट से जुडी समस्या से आप निजात पाना चाहते है तो इसके लिए आपको हरीतकी, शुंठी, पिप्पली, चित्रक को बराबर मात्रा में मिलाना है और सुबह शाम 3 से 6 ग्राम छाछ के साथ लेना है।
- 1 ग्लास पानी में त्रिफला चूर्ण भिगोएं, और खाली पेट इस पानी को पिएं।
- हिंग्वासक चूर्ण, 1 चम्मच घी, पानी के साथ खाने से पहले लें।
- 3 ग्राम इसबगोल, गुनगुने पानी के साथ सोते समय लें
- दालचीनी, सौंठ, जीरा बराबर मात्रा में मिलाएं। फिर इसे 1 से 2 ग्राम दिन में 2 या 3 बार मधु (शहद) के साथ लें।
यदि आप समय पर उपरोक्त आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों का सेवन करते है, तो आपको इस तरह की समस्या से निजात मिलता है, पर ध्यान रहें इन दवाइयों को बिना डॉक्टर के सलाह पर न लें।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBM) के मरीज को क्या खाना चाहिए ?
- बटर मिल्क या मट्ठा, गुनगुना पानी पिएं। फाइबर युक्त आहार, जैसी चीजों को चबा-चबा कर खाना चाहिए।
- अदरक, सौंफ, जीरा, लौंग, इलायची, अनार, केला, बेल, सिंघाड़ा, पुराना चावल, लौकी, तौरई, मूंग के सेवन को अपने आहार में जरूर शामिल करें।
सुझाव :
आंत से जुडी समस्या व्यक्ति के लिए पेट से जुडी काफी परेशानी खड़ी कर सकता है, इसलिए जरूरी है की आप इसका इलाज जरूर करवाए।
निष्कर्ष :
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम या आंत से जुडी समस्या का अगर आप सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको जल्द डॉक्टर का चयन करना चाहिए।