आयुर्वेद बवासीर की बीमारी का करेगा जड़ से खात्मा !
पुराने समय से ही आयुर्वेद में विभिन्न दवाइयों का इलाज मिलता आ रहा है, इसके अलावा बीमारी किसी भी तरह की क्यों न हो उसका उपचार मिलना बहुत ही आसान है। तो वही बात करें बवासीर की बीमारी की, तो सबको पता है की ये बीमारी काफी खरतरनक है अगर एक बार व्यक्ति के अंदर उत्पन हो जाए तो काफी परेशानियां खड़ी करती है। इसके अलावा आयुर्वेद में इस बीमारी का क्या हल है इसके बारे में बात करेंगे, इसलिए अगर आप चाहते है की आपको बवासीर की समस्या से निजात मिल सके तो इसके लिए आपको आर्टिकल को अंत तक पढ़ना होगा ;
बवासीर की शुरुआत कैसे होती है ?
- बवासीर की शुरुआत होने पर मलाशय में लगातार जलन और सूजन का खतरा होता है। इसमें मांसपेशियों में सूजन रहती है, जो कि रह-रह कर जलन पैदा करती है। यह सूजन दर्द और परेशानी का कारण बनती है और यहां तक कि उठने-बैठने के दौरान भी समस्या बन जाती है। ये आंतरिक बवासीर और बाहरी बवासीर, दोनों के दौरान हो सकता है।
- अगर आपको पता चल गया है कि आपको बवासीर की समस्या हो गई है, तो इसके शुरुआती दौर में ही आप इसका इलाज बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक में करवा सकते है।
बवासीर के मुख्य कारण क्या है ?
- कब्ज के कारण पेट साफ नहीं होता है और मल त्याग में जोर लगाना पड़ता है जिसकी वजह से बवासीर (पाइल्स) की समस्या हो जाती है। जो लोग ज़्यादा देर तक खड़े होकर काम करते हैं, उन्हें भी बवासीर की समस्या हो जाती है।
- दूसरी और प्रेग्नेंसी के दौरान भी कई महिलाएं पाइल्स की समस्या का शिकार हो जाती है।
- बवासीर की समस्या के और कारणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते है।
बवासीर के संकेत क्या है ?
- ब्लीडिंग का होना।
- गुदा के आसपास सूजन हो सकती है।
- इससे दर्द और असुविधा हो सकती है।
- गुदा में खुजली और जलन का महसूस होना आदि।
बवासीर में कौन-सी आयुर्वेदिक दवाई है कारगर ?
- बवासीर की वजह से गुर्दे के आस-पास खून जमने लगता है, तो खून की जमावट व सूजन को कम करता है “कांकायन वटी” की आयुर्वेदिक दवा।
- “त्रिफला गुग्गुल” का सेवन करने से बवासीर की वजह से जो गुर्दे में जलन और सूजन होती है उसे कम किया जा सकता है और ये इंफेक्शन को भी कम करता है।
- “अंजीर” (Fig) पेट से जुड़े विकारों को ख़त्म करके बवासीर के लक्षणों को जड़ से ख़त्म करता है।
- “मंजिष्ठा” की दवा रक्त की गंदगी को कम करता है और साथ ही ये बवासीर के अलावा, कैंसर की बीमारी को भी कम करने में सहायक माना जाता है।
- “हरीतकी” पाचन संबंधी बीमारियों को कम करता है और बवासीर की समस्या से भी निजात दिलवाता है।
- जब बवासीर की वजह से गुर्दे में फोड़े हो जाते है जिसकी वजह से मलाशय को निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ता है तब आप “सूरन” का उपयोग कर सकते है
- “अर्शकल्प” भी बवासीर के लिए बेहतरीन दवाई मानी जाती है।
अगर आप भी बवासीर की समस्या से निजात पाना चाहते है तो इसके लिए आपको बिना समय गवाएं संजीवनी आयुर्वेदशाला क्लिनिक का चयन करना चाहिए।
निष्कर्ष :
बवासीर की समस्या काफी गंभीर है इसलिए इससे निजात पाने के लिए आपको उपरोक्त बातो का खास ध्यान रखना चाहिए और किसी भी तरह की दवाई का सेवन करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले।