सोरायसिस क्या है? आयुर्वेदिक के अनुसार सोरायसिस के लिए क्या फायेदेमंद होता है ?
सोरायसिस क्या है?
सोरायसिस (PSORIASIS) शरीर में तापमान के बढ़ने पे होता है और वात में सूखेपन के बढ़ने पे होता है और उसके बाद वह फैलने लग जाता है | Ayurvedic clinic in Ludhiana में जाकर आप होनी इस समस्या से निजाज़ पा सकते है और वो भी उस ट्रीटमेंट के साथ जिसके कोई भी साइड-इफेक्ट्स नहीं होते हैं | सबसे बेहतरीन Ayurvedic Doctor Punjab से सही समय पर सलहा लेकर आपकी स्थिति में सुधार आ सकता है | चलिए जानते हैं सोरायसिस के विभिन्न प्रकार क्या हैं :
सोरायसिस वल्गैरिस
सबसे आम सोरायसिस को सोरायसिस वल्गैरिस कहते हैं |
पाल्मो प्लांटर सोरायसिस
पाल्मो प्लांटर सोरायसिस यह तब होती है जब यह सिर्फ हाथो पे फैली होती है |
स्कैल्प सोरायसिस
स्कैल्प सोरायसिस तब होती है जब वह सिर की त्वचा पे होती है |
एरऐथ्रोदेरमा
एरऐथ्रोदेरमा उसे कहते है जब यह पुरे शरीर पर फैलने लग जाती है |
सोराइटिक अर्थराइटिस
सोराइटिक अर्थराइटिस उसको कहते हैं जब वह जोड़ों में नुक्सान होने लग जाता है |
पुस्तुलर सोरायसिस
पुस्तुलर सोरायसिस तब होता है जब पस और पानी से भरे दाने दिखने लग जाते हैं |
आर्वेदिक जड़ी बूटियां
जैसे की हम सब जानते है की आर्वेदिक जड़ी बूटियां बहुत सी बिमारियों में बहुत ही फायदेमंद हैं | सोरायसिस की स्थिति में भी बहुत सारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां हैं जो बहुत ही लाभप्रद होती हैं | इन जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से ऐसा संभव है की आपको 2 से 3 हफ्ते के निरंतर प्रयोग के बाद असर दिखना शुरू हो जाए | पर यह ध्यान रखे की आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही किसी जड़ी बूटि का इस्तेमाल करना चाहिए | कुछ आर्वेदिक जड़ी बूटियां निचे लिखी गई हैं :
- करंजे का तेल
- नीम
- चंदन
- हल्दी
- यष्टिमधु
- गिलोय
- अदरक
- रक्त चंदन और चंदन
शुद्ध घी का पान और स्वेदन बहुत जरूरी हेै
जब आप हल्का वय्याम करते हैं तो पसीना पैदा होता है और उससे विष को साफ करने में बहुत ही फैयदा होता है | गुनगुने पाने से नहाएं क्यूंकि उससे आम विष का शोधन होता है | इस समस्या में शरीर पर खुश्की होना बहुत ही आम बात है | इस समस्या में यह सही होगा की आप घी का इस्तेमाल करें | एक दिन में कम से कम 2-3 टेबलस्पून घी तक खाएं ।
आयुर्वेद के ग्रंथों सोरायसिस क्यों होता है ?
- शराब पीना
- मूली का अधिक मात्रा में सेवन करना
- हरी पत्तियों का सेवन दूध के साथ करना
- अत्यधिक गर्म और चटपटी चीजों का खाना
- रागी और बाजरा को दूध दही और तेल के साथ अधिक मात्रा में खाना जिसको पचाने में मुश्किल होती है
- भूख ना भी लग रही हो तो भी खाना बहुत ही ज़्यादा खाना
- लहसुन का अधिक मात्रा में सेवन करना
- मछलियों का सेवन अधिक मात्रा में दूध के साथ करना
- पेट ख़राब होने पर भी खाना कहते रहना
- फूड पॉइजनिंग बहुत अधिक होना
- उबकाई को रोकना और सही वक्त पर टॉयलेट नहीं जा पाना
यदि आप इस समस्या से झूझ रहे है तो आप डॉक्टर से परामर्श करें और यह जान ले की आपकी स्थिति में सुधार कैसे आएगा |